Thursday, May 20, 2021

Hindi essay on bhagat singh

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भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर को पंजाब के लायलपुर जिले में बंगा गांव के एक सिख परिवार में हुआ था। जो अब पाकिस्तान में है उनके पिता का नाम सरदार किशन सिंह था और माता का नाम विद्यावाती कौर था। उनके दादा अर्जुन सिंह, पिता किशन सिंह और चाचा अजीत सिंह और स्वर्ण सिंह सभी स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय थे।.


V स्कूल में अध्ययन करते हुए लाहौर में कुछ प्रसिद्ध राजनीतिक नेताओं जैसे लाला लाजपत राय और रास बिहारी बोस के संपर्क में आए। उस समय भगत सिंह 9 साल के थे। यहां उनकी राष्ट्रीयता की भावना को काफी बल मिला। स्कूल की पढ़ाई के साथसाथ वे क्रान्तिकारी गतिविधियों में भाग लेने लगे थे। 13 अप्रैल को अमृतसर में जलियांवाला बाग हत्याकांड का भगत सिंह पर गहरा असर हुआ और वे इस ब्रिटिश क्रूरता को सहन नहीं कर सके। भगत सिंह दूसरे दिन वहां जा कर खून से सनी मिट्टी ले आये थे। लाहौर के राष्ट्रीय कॉलेज से अध्ययन छोड़ने के बाद भगत सिंह ने भारत की स्वतंत्रता के लिए नौजवान भारत सभा की स्थापना की।.


सरदार भगत सिंह का जन्म 28 सितम्बर, ई. को पंजाब के जिला लायलपुर में बंगा जो अभी पाकिस्तान में है के एक देशभक्त सिक्ख परिवार में हुआ था। इनका पैतृक गाँव खटकड़ कलां है जो भारत में है। उनके पिता का नाम किशन सिंह तथा माता जी का नाम विद्यावती था।. भगत सिंह ने प्राइमरी शिक्षा गाँव में ही प्राप्त की। फिर उन्हें लाहौर के डी. स्कूल में दाखिल करवाया गया। बचपन में पिस्तौल चलाना, नकली सेना बनाकर युद्ध करने से किशोरावस्था में ही उनमें देशभक्ति और क्रान्ति के गुण उभर आए।.


सन् में असहयोग आन्दोलन आरम्भ हुआ। भगत सिंह पढ़ाई छोड़ काँग्रेस के स्वयं सेवकों में भर्ती हो गए। सन् में इंटरमीडिएट परीक्षा पास की। सन् में अकाली दल का जैतों का मोर्चा आरम्भ हुआ। भगत सिंह ने इसमें भी बढ़-चढ़कर भाग लिया। सन् में नौजवान भारत सभा की स्थापना हुई। भगत सिंह इसमें जनरल सेक्रेटरी थे और चन्द्रशेखर आजाद कमाण्डर थे।. सरदार भगत सिंह का हृदय कोमल था। जब वे कानपुर में थे तो गंगा की बाढ़ के कारण भीषण संकट आ गया था। उन्होंने बटुकेश्वर दत्त के साथ मिलकर बाढ़-पीड़ितों की तनमन से सेवा की। देश को आजाद कराने के लिये भगत सिंह ने महान त्याग किया था। उन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़ दी। वैसे उन्हें पढ़ने और लिखने का बहुत शौक था। उन्हें पंजाबी, हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू और बांग्ला भाषा भी आती थी। उन्होंने हिन्दी और उर्दू में लेख और गज़लें देशप्रेम के नाटक और गीत लिखे।.


भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने 8 अप्रैल, को केन्द्रीय विधान सभा में बम फेंके। उन्होंने इन्कलाब ज़िन्दाबाद के नारे लगाते हुए अपनी गिरफ्तारी दे दी। वे चाहते तो भाग सकते थे पर उन्होंने ऐसा नहीं किया। बम फेंक कर वे किसी को मारना नहीं चाहते थे बल्कि वे तो अत्याचारी सरकार का भांडा फोड़ना चाहते थे।, hindi essay on bhagat singh. उन पर hindi essay on bhagat singh षड्यन्त्र का मुकद्दमा चला और 17 अक्तूबर, को उन्हें फाँसी की सजा सुनाई गई । निश्चित दिन से एक दिन पहले 23 मार्च, को सरदार भगत सिंह को उनके दो साथियों राजगुरु और सुखदेव के साथ hindi essay on bhagat singh जेल में फाँसी पर लटका दिया गया। उनकी लाशों के टुकड़े-टुकड़े करके उसी रात फिरोजपुर से ग्यारह किलोमीटर दूर हुसैनीवाला स्थान पर सतलुज नदी के किनारे जला दिये गये।.


क्रांतिकारी भगत सिंह की शहीदी ने सारे भारत में क्रांति ला दी। कई नवयुवको ने हँसते-हँसते देश के लिए प्राण त्याग दिए। हमारा देश आजाद हुआ। शहीदों की याद में बना यह स्मारक राष्ट्रीयता और बलिदान का प्रतीक बन गया हैं। उनका बलिदान आज भी हमारे दिल में देश-भक्ति, साहस, निडरता, त्याग और बलिदान की भावना जगा रहा है।. भगत सिंह के पैतृक गाँव खटकड़ कलां पंजाब में स्थित घर को सरकार द्वारा विरासत के रूप में संभाला गया है। उनके गाँव के मुख्य मार्ग नवांशहर-बंगा पर सन् में अजायबघर का निर्माण किया गया। जिसमें उनके द्वारा प्रयोग किये गये सामान एवं पत्र इत्यादि संरक्षित हैं।, hindi essay on bhagat singh.


सरदार भगत सिंह का पहला नाम भागांवाला था क्योंकि जिस दिन यह पैदा हुआ उस दिन इनके पिता नेपाल से आए थे और दादी ने कहा था यह लड़का भाग्य शाली है इसी लिए इसका नाम भागांवाला रखा गया और यही बाद में भगत सिंह के नाम से प्रसिद्ध हुआ। सचमुच यह बालक सौभाग्यशाली था देश के लिए भी और परिवार के लिए भी। इस का जन्म सन् में पंजाब प्रान्त के ज़िला जालन्धर के तहसील बंगा के पास खटकड़ कला में सरदार कृष्ण सिंह के घर हुआ। प्रारम्भिक शिक्षा गांव में ही पाई। मैट्रिक तक शिक्षा डा.


स्कूल से पाई और नेशनल कालेज लाहौर से आप ने बी. पास की। अनेक पत्रों के सम्पादक बने। एक स्कूल में मुख्य अध्यापक भी रहे। नाम बदल-बदल कर भी कई स्थानों पर घूमते रहे। घर वालों ने आप का विवाह करने का विचार किया पर आप घर से यह सोच कर भागे कि शादी देश भक्ति में बाधा पहुंचाएगी इस तरह आप का जीवन देश भक्ति से युक्त रहा।.


जिस समय शहीद भगत सिंह का जन्म हुआ उस समय कांग्रेस की दो पार्टियां बन चुकी थीं। नरम दल और गरम दल। नरम दल के लोग नियमों द्वारा और विधान द्वारा देश को स्वतन्त्र करवाना चाहते थे। hindi essay on bhagat singh गांधी, जवाहर लाल नेहरू इसी दल के सदस्य रहे पर गरम दल वालों का विचार था कि लातों के भूत बातों से नहीं माना करते इस लिए अनुनय विनय से आज़ादी नहीं मिल सकती इस लिए क्रान्ति का पथ अपनाना चाहिए। लोक मान्य तिलक इस दल के नेता थे। बाद में चन्द्र शेखर आज़ाद, बटुकेश्वर दत्त आदि ने इस पथ को अपनाया। सरदार भगत सिंह जी इसी दल के सदस्य बने।.


जलियांवाला बाग में जब सन् में गोली चली उस समय भगत सिंह की आयु 11 वर्ष की थी उसने हज़ारों लोगों को मरते हुए देखा। भगत सिंह ने उस भूमि की मिट्टी को माथे पर लगाया और कसम खाई कि जब तक देश को आज़ाद न करा लूंगा तब तक चैन से न बैठूंगा। 30 अक्तूबर, को साईमन कमीशन का बहिष्कार किया गया इस सम्बन्ध में बड़ा भारी जलूस लाहौर में निकला। दफा लगी हुई थी पर शहीद होने वाले दफा की कब परवाह करते हैं। लाल लाजपत राय उस जलूस के नेता थे। उन पर लाठियां बरसीं और 17 hindi essay on bhagat singh, को उन की मृत्यु हो गई। भगतसिंह के हृदय पर इस घटना का गहरा आघात लगा। सरदार भगत सिंह ने सोच लिया कि कोई ऐसा काम किया जाए जिस से बहरे कानों को कुछ सुनाई दे इसलिए उन्होंने 8 अप्रैल, को असैम्बली में दो बम्ब फेंके और कुछ पर्चियां फैकीं। भगत सिंह चाहते तो भाग सकते थे hindi essay on bhagat singh उन्होंने ऐसा नहीं किया उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया।.


भगत सिंह पर केस चला। भगत सिंह के साथ सुखदेव और राज गुरु भी थे। 7 अक्तूबर, को भगत सिंह को फांसी की सजा सुना दी गई। देश में आन्दोलन हुए, हड़ताले हुई, जलसे हुए, जलूस निकले पर अग्रेज़ों के कानों पर जूं तक न रेंगी। आखिर 23 मार्च, hindi essay on bhagat singh, सन् को शाम के समय सरदार भगत सिंह को फांसी दे दी गई। फांसी का फंदा चूमते हुए सरदार भगत सिंह ने कहा, आत्मा अमर है इसे कोई मार नहीं सकता। पैदा होने वाले के लिए मरना और मरने वाले के लिए hindi essay on bhagat singh होना ज़रूरी है। मैं मर रहा हूं, भगवान् से प्रार्थना है कि मैं फिर इसी देश में जन्म लू और अंग्रेज़ों से संघर्ष करता हुआ देश को आजाद कराऊं और यह कहते हुए भगत सिंह ने फांसी का फंदा चूम लिया।.


आज हम स्वतन्त्र हैं पर हमें उन देश भक्तों के बलिदान नहीं भूलने चाहिएं। आज हम सब को भाषा, hindi essay on bhagat singh, प्रान्त और जातीयता से ऊपर उठना चाहिए। हमारे सामने एक लक्ष्य रहना चाहिए कि हम hindi essay on bhagat singh एक ही देश के वासी हैं। यही भगत सिंह जी के सच्ची श्रद्धांजलि होगी और दूसरी बात यह कि हमें इन शहीदों का नाम कभी नहीं भूलना चाहिए इनके कर्तव्य हम में प्रेरणा भरने वाले हैं।.


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Essay on shaheed bhagat singh in hindi ।।निबंध शहीद भगत सिंह हिन्दी मे

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